तीनों कृषि कानून निरस्त करने का किया ऐलान: आखिरकार अकड़ टूट ही गई

स्वागत है आपका हमारे इस आर्टिकल में जिसमें हम बात करने वाले हैं तीनों कृषि कानूनों की जिसमें 19 नवंबर 2021 को सुबह नरेंद्र मोदी जी ने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने की घोषणा की पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने जमकर विरोध जारी रखा किसानों का कहना है कि हम तब तक धरना प्रदर्शन नहीं आंदोलन जारी रखेंगे जब तक कि मोदी जी लोकसभा और राज्यसभा में तीनों कृषि कानूनों के नजदीक आप रस्ता ना पारित कर दें सही बात भी है इससे पता चलता है कि बीजेपी की अब अकल ठिकाने आ गई है बीजेपी जो जितना अकड़ दिखा रही थी वह टूटती नजर आ रही है आखिरकार किसानों के सामने बीजेपी को झुकना ही पड़ा। इसीलिए कहा गया है कि एकता में शक्ति होती है अब भले ही इसको आप चुनावी स्टंट माने लेकिन फिर भी किसानों की एकता जीत हुई है।

तीनों कृषि कानून निरस्त: एक चुनावी स्टंट

जी हां तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा नरेंद्र मोदी जी और बीजेपी की तरफ से एक चुनावी स्टंट माना जा रहा है क्योंकि हाल ही के दिनों में आने वाले समय में उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जिसको देखते हुए बीजेपी ने और नरेंद्र मोदी जी ने यह फैसला किया कि अगर हम लोग कृषि कानूनों को वापस नहीं लेंगे तो शायद इन दोनों राज्यों में चुनाव में बीजेपी की भारी हार हो सकती है क्योंकि मेघालय के वर्तमान राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी ने दिए कह दिया था कि अगर बीजेपी की हार होगी तो सिर्फ कृषि कानूनों की वजह से क्योंकि इससे किसानों को मुस्कान समझ में आ रहा था और किसान 2020 से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे आप लोगों को पता होगा कि इस विरोध प्रदर्शन में गणतंत्र दिवस के टाइम पर किसानों के ऊपर आरोप प्रत्यारोप भी लगे लेकिन कुछ साबित नहीं हुआ राजनीति इतनी हावी है कि कोई भी आंदोलन करता है उसमें बीजेपी को सिर्फ राजनीति नजर आती है यह कार्य कांग्रेसियों का है या सपाइयों का आप लोगों की क्या राय है हमें कमेंट में जरूर बताएं।

कृषि कानूनों पर उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 का हुआ असर

जी हां दोस्तों तीनों कृषि कानून वापस इस ओर संकेत करते हैं आप लोग सभी को पता होगा कि 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में और उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी हैं किसानों का आंदोलन विधानसभा चुनाव 2022 की चिंता का कारण बना हुआ था क्योंकि जगह जगह पर किसान आंदोलन चालू थी क्योंकि उत्तर प्रदेश एक सबसे बड़ा राज्य है आप विधानसभा की सीटों की समझ लें या फिर लोकसभा की सीटों से क्योंकि लोकसभा में उत्तर प्रदेश का 80 सीटें जाती हैं और विधानसभा सीटें 403 हैं जिससे अगर कोई भी विधेयक पास करना होता है तो अगर उत्तर प्रदेश के सांसद ही लोकसभा में मौजूद हैं तो वह भी आराम से विधायक पास करवा सकते हैं इसलिए उत्तर प्रदेश का लोकसभा और राज्यसभा में भी बहुत महत्व है क्योंकि राज्यसभा में भी उत्तर प्रदेश की 1 सीटें हैं इससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव की वजह से लिया गया है और मोदी जी ने कहा है दो-तीन महीने का इंतजार करें और करवा दिया जाएगा सत्ताधारी पार्टी कोई भी हो अगर कोई काम करना चाहती है तो उसे 1 दिन में भी कर सकती है एक हफ्ते में भी कर सकती है 1 महीने में भी कर सकती है और 1 साल में भी कर सकती है और अगर नहीं करना चाहे तो 1 दिन में भी नहीं कर सकती 1 महीने में भी नहीं कर सकती 1 साल में भी नहीं कर सकती यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि कानून कब तक वापस लिए जाएंगे पूरी तरह से जब राज्यसभा और लोकसभा में प्रस्ताव पारित किया जाएगा।

कृषि कानूनों पर पंजाब विधानसभा चुनाव का भी हुआ असर

कृषि कानून निरस्त करने के पीछे पंजाब विधानसभा का चुनाव भी शामिल है क्योंकि पंजाब और हरियाणा और उत्तर प्रदेश तीनों राज्यों के किसान जमकर आंदोलन करने में लगे हुए थे और हाल ही में उत्तर प्रदेश और पंजाब विधानसभा के चुनाव में पंजाब में भी बीजेपी की सरकार नहीं है वहां पर भी बीजेपी लड़खड़ाते हुई समझ में आ रही है इसी वजह से देखते हुए मोदी जी ने कृषि कानून को वापस करने का ऐलान 19 नवंबर 2021 को किया। बता दें कि लोकसभा में पंजाब का हिस्सा 13 सीटों का है और राज्यसभा में पंजाब का हिस्सा 7 सीटों का मतलब पंजाबी अपना काफी रोल अदा करता है लोकसभा और राज्यसभा में इस कारण से पंजाब के किसानों का विरोध लाजमी था और इस विरोध को कम करने के लिए यह चुनावी स्टंट किया गया है कि हम तीनों कृषि कानूनों को दो-तीन महीने में निरस्त कर देंगे उनको पता है कि दो-तीन महीने में चुनाव की डेट आ जाएगी फिर कोई बहाना बनाकर इसको डाल दिया जाएगा और बाद में इसे लागू भी किया जा सकता है और नहीं भी लागू किया दोनों बातें हैं यह तो आने वाले समय पता चल जाएंगे।

बिहार सरकार ने भी किया कृषि कानूनों का विरोध

आपको बता दें कि हाल ही में नीतीश कुमार सरकार जो कि बिहार में गठबंधन की सरकार है बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच में कहां पर बिहार में भी कृषि कानूनों को लेकर सरगर्मियां तेजी पर थी बिहार सरकार भी कृषि कानूनों का विरोध करने लगी थी इसी को भी देखती देखते हुए बीजेपी ने यह सोचा और नरेंद्र मोदी जी ने व्यक्तिगत तौर पर भी सोचा होगा कि हमारी पार्टी की छवि फीकी पड़ रही है और इसको सुधारने के लिए कृषि कानूनों को वापस लेना जरूरी हो सकता है।

निष्कर्ष : कृषि कानून निरस्त

तो आपको बता दें कि कृषि कानून निरस्त करने की घोषणा एक चुनावी स्टंट माना जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सीटें 80 हैं और राज्यसभा की सीटें 21 है और पंजाब की लोकसभा सीटें 13 है और राज्यसभा सीटें सात है साथ ही राज्य में बीजेपी की सरकार है उन राज्यों में भी आंतरिक विरोध चालू हो चुका था कृषि कानूनों को लेकर जिसकी भनक नरेंद्र मोदी जी को पड़ी और उनको यह फैसला लेना पड़ा हाल ही के दिनों में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक जी ने भी कहा था कि मुझे सत्ता का लोग नहीं है प्रधानमंत्री जी चाहे तो मुझे अभी हटा सकते हैं लेकिन मैं साफ-साफ कहना चाहता हूं कि बीजेपी की अगर हार होगी तो कृषि कानूनों की वजह से होगी इन सभी को देखते हुए नरेंद्र मोदी जी का यह फैसला बहुत ही सही टाइम पर आया है और आशा करते हैं कि यह सभी के हित में होगा और किसानों के हित में होगा ।

जय हिंद वंदे मातरम । जय जवान जय किसान।


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