Important Facts: The lady of Justice | न्याय की देवी के महत्वपूर्ण तथ्य

 Important Facts of The Lady of Justice 

हाल ही में भारतीय मुख्य न्यायाधीश D.Y. Chandrachood के निर्देशानुसार, न्याय की देवी के पुराने स्वरूप को बदलकर एक नया स्वरूप दिया गया है। जो कि भारतीय न्यायपालिका के नवीनतम सोच को दर्शाता है। माननीय चंद्रचूड़ जी का कहना है कि न्याय की देवी की नवीनतम प्रतिमा इस बात का प्रतीक है कि भारत अब किसी दूसरे देश के द्वारा बनाये गये नियमों के आधार पर न्याय नहीं करेगा। भारत खुद के बनाये गये संवैधानिक ढांचा और भारतीय न्याय संहिता के हिसाब न्याय करने में सक्षम है।

न्याय की देवी की पुरानी प्रतिमा ब्रिटिश कालीन नियमों के आधार पर बनायी गई थी। जबकि हाल ही में भारत ने इंडियन पीनल कोड के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता को लाया गया है। इसी प्रकार न्याय की देवी की पुरानी प्रतिमा में कुछ बदलाव करके उसको नया स्वरूप और नये विकसित भारत की संस्कृति के साथ जोड़ने का काम किया गया है।

न्याय की देवी की नवीनतम मूर्ति अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में स्थापित की गई है। न्याय की देवी की पूरानी प्रतिमा में रोमन माइथोलॉजी की न्याय की देवी 'जस्टीशिया' है। 

The Lady of Justice


न्याय की देवी की नवीनतम मूर्ति में निम्नलिखित महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं -

1. आंखों पर बंधी पट्टी को खोल दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि यह दर्शाया जा सके कि भारत का कानून अंधा नहीं है। अब भारतीय कानून सभी पहलुओं को देखकर फैसले लेगा।

2. बायें हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब रखी गई है। इसका आशय यह है कि न्याय संविधान के आधार पर किया जाएगा। जबकि तलवार हिंसा का प्रतीक थी। 

3. दायें हाथ में रखा गया तराजू समाज में समानता का प्रतीक है, अर्थात न्याय करते समय दोनों पक्षों का समान अधिकार प्राप्त होगा।

4. न्याय की देवी की नवीनतम प्रतिमा में गाउन की जगह साड़ी पहने हुए दिखाया गया है।

न्याय की देवी की नई प्रतिमा को मशहूर शिल्पकार विनोद गोस्वामी और उनकी टीम द्वारा बनाया गया है। इस मूर्ति को‌‌ बनाने में तीन महीने का समय लगा था।


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