World Hepatitis Day 2021-
Hepetitis Can't Wait
विश्व हेपेटाइटिस दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। इस वर्ष इसकी थीम है,"Hepatitis can't wait."
World Hepatitis Day is observed each on 28 July to raise awareness of vital hepatitis, an inflammation of the liver that causes severe liver disease hepatocellular cancer. This year's theme is "Hepatitis can't wait", conveying the urgency of effort needed to eliminate hepatitis as a public health threat by 2030. With a person dying every 30 seconds from a hepatitis related illness - even in the current COVID-19 crisis - we can't wait to act on viral hepatitis.
हेपेटाइटिस
- कारण, लक्षण और बचाव
हेपेटाइटिस के बारे
में जानना बेहद जरूरी है। भारत में हेपेटाइटिस की वजह से लिवर की बीमारी सबसे
ज्यादा होती है। हेपेटाइटिस के लक्षण की जानकारी किसी को भी इस जानलेवा बीमारी से
बचा सकती है।
हेपेटाइटिस
की बीमारी किस अंग को प्रभावित करती है- हेपेटाइटिस की बीमारी प्रमुख रूप से यकृत को
प्रभावित करती है, जोकि हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। हेपेटाइटिस यकृत में
होने वाले वायरल इंफेक्शन के कारण होती है। हेपाटाइटिस में पांच प्रकार के वायरस
होते है, ये है- ए,बी,सी,डी और ई। इन पांच प्रकार को लेकर ही ज्यादा चिंता करने की
जरूरत है क्योंकि इनके कारण ही महामारी जैसी अवस्था हो रही है और मौत की आबादी बढ़
रही है। टाइप बी और सी लाखों लोगों में क्रॉनिक बीमारी का कारण बन रहे है क्योकिं
इनके कारण लीवर सिरोसिस और कैंसर होता है। हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी और
बच्चे को जन्म के बाद टीका लगवाकर बचा जा सकता है।
हेपेटाइटिस
के प्रकार
हेपेटाइटिस प्रमुख
रूप से पांच प्रकार का होता है-
1.हेपेटाइटिस
ए- WHO के अनुसार हर साल
1.4 मिलियन लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो रहे है। ये खाना और पानी के विषाक्त होने
के कारण फैलता है।
2.हेपेटाइटिस
बी- इन्फेक्टेड ब्लड के ट्रांसफ्यूशन और
सिमन और दूसरे फ्लूइड के इक्सपोशर के कारण यह संक्रमित होता है।
3.हेपेटाइटिस
सी- यह हेपेटाइटिस सी वायरस के कारण होता
है। यह ब्लड और इंफेक्टेड इंजेक्शन के इस्तेमाल से फैलता है।
4.हेपेटाइटिस
डी- यह हेपेटाइटिस डी वायरस के कारण होता है
वे ही इस वायरस से संक्रमित होते है। एचडीवी और एचबीवी दोनों के एक साथ होने के
कारण स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
5.हेपेटाइटिस
ई- यह हेपेटाइटिस ई वायरस के कारण होता है।
दुनिया के ज्यादातर देशों में हेपेटाइटिस के संक्रमण का यही कारण है। यह विषाक्त
पानी और खाना के कारण ज्यादा फैलता है।
एक्यूट
हेपेटाइटिस- अचानक लीवर में
सूजन होना इसका लक्षण प्रमुख लक्षण है, यह 6 माह तक रहता है और रोगी धीरे-धीरे ठीक
होने लगता है। एचएवी इंफेक्सन के कारण आम तौर पर यह होता है।
क्रॉनिक
हेपेटाइटिस- क्रॉनिक एचसीवी
इंफेक्शन से 13-150 मिलियन लोग दुनिया भर में प्रभावित होते है। लीवर कैंसर और
लीवर के बीमारी के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग मरते है। एचईवी इंफेक्सन क्रॉनिक
रोगी का इम्यून सिस्टेम भी पूरी तरह से इफेक्ट होता है।
हेपेटाइटिस
के कारण-
लीवर के इंफ्लेमेशन
के कारण हेपेटाइटिस रोग होता है, इस वाइरस इंफेक्शन के कारण जान को खतरा भी हो
सकता है।
1.हेपेटाइटिस ए,
हेपेटाइटिस बी या हेपेटाइटिस सी वाइरस के कारण इसका मूल कारण है।
2.कभी कभी शरीर के
इम्यून सेल से यह पता चलता है कि लीवर का सेल क्षतिग्रस्त हो रहा है।
3.एल्कोहॉल सीधे
लीवर के द्वारा भागों में भी संचारित होने लगता है। इसलिए अत्यधिक मात्रा में
एल्कोहाल का सेवन करने से हेपेटाइटिस होने का खतरा होता है।
4.कुछ दवाइयां जैसे
एसिटामिनोफेन का सेवन जब बहुत ज्यादा होने लगता है तब इसका विषाक्त पदार्थ लीवर
सेल के सूजन का कारण बन जाता है।
हेपेटाइटिस
के लक्षण-
हेपेटाइटिस के प्रथम
अवस्था में लक्षण कुछ साफ तरह नहीं पता चलता है लेकिन कॉनिक अवस्था में इसके कुछ
लक्षण नजर आ जाते है। ये लक्षण है इस प्रकार है-
1.पीलिया,
त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना
2.मूत्र
का रंग गहरा हो जाना
3.मतली
आना
4.उल्टी
होना
5.पेट
दर्द और सूजन
6. खुजलाहट
7.भूख
कम लगना
8.वजन
का घटना
हेपेटाइटिस
रोग का निदान-
डॉक्टर लक्षणों के
आधार पर यानि लीवर का बढ़ा होने पर, स्किन का पीला होने पर, उदर में फ्लूइड होना
आदि को देखकर फिजिकल एक्जामिनेशन करने को कहते है। इसके लिए इन टेस्ट को करने की
सलाह दी जाती है।
1.लीवर
फंक्शन टेस्ट
2.पेट
का अल्ट्रासाउंड
3.ऑटोइम्यून
ब्लड मार्कर
4.हेपेटाइटिस
ए,बी,सी का टेस्ट
5.लीवर
बायोप्सी
6.पैरासेनटेसीस
हेपेटाइटिस
का इलाज- एक्यूट हेपेटाइटिस
से राहत कुछ हफ्ते में मिल जाती है। कॉनिक हेपेटाइटिस के लिए दवाई लेने की जरूरत
होती है। लीवर खराब हो जाने पर लीवर ट्रांसप्लेनटेशन भी एक विकल्प है।
हेपेटाइटिस की
रोकथाम- हेपेटाइटिस बी और सी का रोकथाम वायरस के संक्रमण के पथ को कम करके हो सकता
है-
1.अपना
रेजर, टूथब्रश और सुई को किस से शेय़र न करें, इससे इंफेक्शन का खतरा कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
2.टैटू करने के वक्त उपकरणों से सावधान रहें।
3.कान को छेद करते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि वह साफ रहे।
4.सेक्स करते वक्त सावधानी बरतें।
बच्चों
को हेपेटाइटिस से बचाव के लिए टीका लगया जाता है। संटर फॉर डिजीज कंट्रोल एण्ड
प्रिवेन्शन के सलाह के अनुसार 18 साल के उम्र तक और उससे वयस्क लोगो को छह से बारह
महीने में तीन डोस दी जाती है, इससे वे इस बीमारी से पूरी तरह से सुरक्षित रख सकते
है।
Content Source: WHO & News
Written By: Atul Kumar Kushwaha